ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?
ओस की बूंद पेङ के प्रति क्रोध और घृणा से कांप उठी। क्रोध से इसिलिए क्योंकि पेङ की जङ ने बिना बूंद की इच्छा जाने उसे अपने में समाहित कर लिया था। बूंद के अनुसार पेङ की जङों और रोओं को उसे जबरन अपने अन्दर जज्ब नहीं करना चाहिए| इस क्रोध के बाद बूंद को पेङ के प्रति घृणा होनी ही चाहिए थी क्योंकि पेङ ने उसे तीन दिनों तक अपने अन्दर रखकर उसे अपने पत्तियों पर फेंक दिया|